बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान
प्रश्न- पाचन क्रिया में सहायक अंगों का वर्णन कीजिए तथा भोजन का अवशोषण किस प्रकार होता है?
लघु प्रश्न
1. यकृत का चित्र बनाइए व इसकी क्रिया विधि बताइए।
2. अग्न्याशय के कार्य बताइए।
3. यकृत के कार्य बताइए।
4. मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि कौन सी है? उसके क्या कार्य हैं?
उत्तर -
पाचन क्रिया में सहायक अंग
यकृत और पित्ताशय (Liver and Gall bladder) - शरीर में यकृत सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण ग्रन्थि है जो दाहिनी ओर निचली पसलियों के पीछे और महाप्राचीरा पेशी के ठीक नीचे स्थित है। भार में लगभग 1.5 किलो की होती है। बाह्य रूप से देखने पर ये दो भागों में विभक्त दिखाई देता है। दायाँ भाग बाएं भाग की अपेक्षा कुछ बड़ा होता है। नीचे की ओर एक नाशपाती के आकार की थैली होती है जिसे पित्ताशय कहते हैं। पित्ताशय में नीचे नलिका होती है जिसका एक ओर सम्बन्ध यकृत तथा दूसरी ओर पक्वाशय से होता है।
आन्तरिक संरचना - यकृत के अन्दर से अनेक सूक्ष्म पिण्डों में बँटा रहता है। प्रत्येक खण्ड के बीच में एक वाहिनियाँ प्रतिहारिणी शिरा तथा पित्त नलिका दिखाई देती हैं।
पित्त नलिका अनेक भागों में विभक्त होकर पूरे यकृत में फैली रहती है। ये पित्त नलिकाएँ पिण्डों में बने पित्त को एकत्र करके पित्त नली तक लाती है। यह नली पित्ताशय में खुलती है जहाँ पित्त रस एकत्रित होता है। पित्ताशय से एक पित्त वाहिनी निकलकर पक्वाशय में पित्त रस पहुँचाती है। यकृत में लगभग 500 से 700 ग्राम पित्तरस प्रतिदिन बनता है।
यकृत में दो रक्त नलिकाएँ रक्त पहुँचाने का कार्य करती हैं एक नलिका यकृत धमनी (शुद्ध रक्त) कहलाती है जिसके रक्त से यकृत का पोषण होता है। दूसरी प्रतिधारिणी शिरा कहलाती है जो आमाशय, आँत, क्लोम ग्रन्थि और प्लीहा से अशुद्ध रक्त एकत्र करके यकृत में लाती है फिर यकृत से अशुद्ध रक्तमहाशिरा में डाल दिया जाता है।
यकृत के कार्य यकृत शरीर का महत्वपूर्ण अंग और जीवन की अनिवार्यता है। शरीर में यह कई महत्वपूर्ण कार्य करता है -
1. पाचन क्रिया के दौरान पित्त रस को स्रावित करता है जो वसाओं पर क्रिया करके उन्हें घुलित अवस्था में परिवर्तित कर देता है। जिससे वसा का पाचन आसान होता है।
2. पाचन नली में आवश्यकता से अधिक ग्लूकोज हो जाता है तो वह प्रतिहारिणी शिरा द्वारा यकृत में पहुँच जाता है। यकृत इसे ग्लाइकोजन के रूप में परिवर्तित कर संग्रहित कर लेता है जिससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर सामान्य रहता है। जब शरीर को अधिक ग्लूकोज की आवश्यकता होती है तो संग्रहित ग्लाइकोजेन को ग्लूकोज में परिवर्तित कर दैनिक आवश्यकता को पूरा करता है।
3. यकृत से स्रावित पित्त रस में सोडियम कार्बोनेट लवण पाया जाता है जो क्षारीय होता है यह आमाशय से आए अम्लीय भोजन के अम्ल के प्रभाव को कम करता है जिससे छोटी आँत में पाचन क्रिया आसान हो जाती है।
4. प्रोटीन के पचे हुए भाग अमीनो एसिड को संचित करता है तथा शेष पदार्थों को ( अमोनिया) यूरिया तथा यूरिक एसिड में बदलकर गुर्दे द्वारा विसर्जित करने का कार्य करता है।
5. लाल रक्त कणों का निर्माण भी करता है और जीवन अवधि पूरी होने पर नष्ट भी करता है।
6. यह प्लाज्मा प्रोटीन फाइब्रिनोजन का निर्माण करता है जो रक्त जमने की क्रिया में सहायता प्रदान करती है।
प्लीहा (Spleen) - यह लम्बे आकार की बैगनी रंग की छोटी सी ग्रन्थि है जो पेट में बायीं ओर स्थित होती है। इसकी लम्बाई लगभग 12 से०मी० होती है। यह अत्यन्त कोमल होती है। इसका सम्बन्ध आँत व गुर्दों से होता है। इसका प्रमुख कार्य पाचन अंगों विशेष रूप से आमाशय आदि अंगों में जाता है तो यह सिकुड़ जाती है और पाचन क्रिया समाप्त होने पर फिर से रक्त आ जाने से फूल और फैल जाती है। इसके अतिरिक्त लाल रक्त कणों को नष्ट करने तथा नए श्वेत रक्त कणों का निर्माण कार्य भी करती है।
अग्न्याशय (Pancreas) - इसे अग्न्याशय भी कहते हैं। पाचन क्रिया में यह महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। यह पक्वाशय के घुमाव में पेट में बायीं ओर स्थित रहती है। यह लगभग 17 से०मी० लम्बी होती है और इसका विस्तार पक्वाशय से प्लीहा तक होता है। इसके निम्नलिखित तीन भाग होते हैं
1. अग्न्याशय का सिर (Head of Pancreas) - पक्वाशय के घुमाव में स्थित रहता है। पक्वाशय लगभग इस भाग को यह ग्रन्थि का सबसे चौड़ा भाग है जो पूरी तरह से घेरे रहता है।
2. अग्न्याशय की देहभित्ति (Body of Pancreas) ग्रन्थि का मध्य भाग अग्न्याशय पिण्ड कहलाता है। यह आमाशय के पीछे तथा पहली कशेरुका के आगे स्थित होता है।
3. अग्न्याशय की पूँछ (Tail of Pancreas) ग्रन्थि का आखिरी भाग अग्न्याशय पुच्छ कहलाता है। यह भाग संकीर्ण होता है तथा प्लीहा के सम्पर्क में रहता है।
अग्न्याशय के कार्य - इस ग्रन्थि से एक स्राव निकलता है जिसे 'अग्न्याशयिक रस' कहते हैं। इस रस में कई एन्जाइम होते हैं जो प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा वसा का पाचन करते हैं। इन एन्जाइम्स की क्रिया का वर्णन पहले किया जा चुका है। क्लोम ग्रन्थि के दीपिका कोष्ठक (Islets of langerhans) से एक हॉरमोन 'इन्सुलिन स्रावित होता है जो कार्बोहाइड्रेट के चयापचय में भाग लेता है। इसके कम स्राव से 'डायबिटीज' रोग हो जाता है।
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- प्रश्न- भोजन में अनाज के साथ दाल को सम्मिलित करने से प्रोटीन का पोषक मूल्य बढ़ जाता है।-कारण बताइये।
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- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत बताइये।
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स का वर्गीकरण कीजिए (केवल चार्ट द्वारा)।
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- प्रश्न- आवश्यक वसीय अम्लों के बारे में बताइए।
- प्रश्न- किन्हीं दो वसा में घुलनशील विटामिन्स के रासायनिक नाम बताइये।
- प्रश्न बेरी-बेरी रोग का कारण, लक्षण एवं उपचार बताइये।
- प्रश्न- विटामिन (K) के के कार्य एवं प्राप्ति के साधन बताइये।
- प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- आयोडीन के बारे में अति संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन के कार्य अति संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन की कमी से होने वाला रोग घेंघा के बारे में बताइए।
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- प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
- प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
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- प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
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- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
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- प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
- प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
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- प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
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- प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
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- प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है।
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- प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
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- प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
- प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
- प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?